
विकासनगर। जौनसार बावर की तीनों तहसीलों में अनुसूचित जनजाति के फर्जी प्रमाण पत्र बनाए जाने की शिकायत पर अब उत्तराखंड जनजाति आयोग ने सख्त कार्रवाई का संकेत दिया है। आयोग ने डीएम देहरादून को प्रकरण की जांच कर सभी अभिलेख और साक्ष्य 20 जून तक मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं।
जौनसार बावर की कालसी, चकराता और त्यूणी तहसील में एसटी के फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर सरकारी सेवाओं का लाभ लेने के आरोप लगते रहते हैं। पूर्व में भी इस तरह के आरोपों की जांच प्रशासन कर चुका है। जांच में फर्जी प्रमाण पत्र पाए जाने पर उन्हें निरस्त भी किया गया। एक बार फिर बड़े पैमाने फर्जी प्रमाण पत्र बनाए जाने का मामला मई की शुरुआत में उछला था। नवक्रांति संगठन की ओर से इस संबंध में तीनों तहसील प्रशासन समेत जिलाधिकारी को भी जानकारी दी गई थी। इसके बाद अनुसूचित जनजाति आयोग में मामले की शिकायत की गई।
शिकायत कर्ता नवक्रांति संगठन के पूर्व सचिव गंभीर सिंह चौहान ने आयोग को बताया कि फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर सरकारी नौकरी समेत सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ अपात्र लोग ले रहे हैं। जबकि, जौनसार बावर के पात्र युवा रोजगार और अन्य सरकारी योजना से वंचित हैं। उन्होंने पूरे मामले की विस्तृत जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। शिकायत पर संज्ञान लेते हुए जनजाति आयोग ने डीएम को निष्पक्ष जांच करने के आदेश जारी किए, जिसके बाद डीएम ने संबंधित तहसीलों से सभी अभिलेख तलब किए हैं।