श्रीनगर गढ़वाल। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के पर्यावरणीय विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष एवं शोध समन्वयक प्रो. आरके मैखुरी ने आईसीआईएमओडी मुख्यालय, काठमांडू, नेपाल में दो दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला में समुदाय आधारित परंपरागत अनुकूलन विधियों पर किए गए अध्ययन पर प्रस्तुतीकरण दिया। जिसमें उन्होंने शोध परियोजना के तहत भारत में हो रहे शोध कार्यों पर प्रकाश डालते हुए जलवायु परिवर्तन से निपटने में परंपरागत ज्ञान की महत्ता बताते हुए इसके व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार पर जोर दिया।
इस अवसर पर विभाग के अतिथि शिक्षक रविंद्र सिंह ने गढ़वाल हिमालय में परंपरागत चिकित्सा पद्धति तथा पशु-चिकित्सा में व्यापक रूप से प्रयुक्त होने वाले औषधीय पादपों के प्रति समुदाय आधारित ज्ञान पर हुए अध्ययन का प्रस्तुतीकरण दिया। कार्यशाला के आयोजकों एपीएन-आईजीईएस जापान तथा एचयूसी नेपाल के प्रतिनिधियों के साथ-साथ उपस्थित सभी विशेषज्ञों द्वारा विभाग द्वारा किए गए अध्ययन व शोध की सराहना करते हुए हिंदूकुश क्षेत्र के साथ वैश्विक परिदृश्य में इसकी प्रासंगिकता पर जोर देते हुए इसे आत्मसात किए जाने पर बल दिया गया।
प्रो. मैखुरी ने बताया कि कार्यशाला में भारत के अलावा जापान, नेपाल, भूटान, चीन, म्यांमार, ताइवान, बांग्लादेश तथा पाकिस्तान आदि देशों के 50 से अधिक विषय विशेषज्ञों व प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया।