देहरादून। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि कांग्रेस की श्री केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा का विधिवत समापन केदारनाथ मे जलाभिषेक और भैरव बाबा के मन्दिर में सनातन प्रेमियोें की ओर से अर्जी लगाकर केदारनाथ धाम के साथ हो रहे सरकारी षडयंत्रोें से रक्षा और न्याय की गुहार की। उन्होंने कहा कि केदारनाथ यात्रा मार्ग पर स्थानीय व्यवसायों, तीर्थ पुरोहितों और मजदूर वर्ग के साथ भी लगातार सरकारी मनमानी की शिकायत सभी वर्गो ने की है। केदारनाथ यात्रा को लेकर सरकार बडे-बडे दावे कर रही थी लेकिन दुर्गम यात्रा होने के बावजूद रास्ते में कहीं भी स्वास्थ्य सेवायें नजर नहीं आई।
उन्होंने कहा कहीं भी ऑक्सिजन पार्लर नजर नहीं आये जबकि वहां सबसे अधिक परेशानी ऑक्सिजन की कमी के कारण ही होती है। रजिट्रेशन के नाम पर ना केवल कांग्रेस प्रतिष्ठा यात्रा प्रभावित हुई बल्कि स्थानीय व्यापारी भी पूरी तरह प्रभावित हुए। व्यापारियों ने जो बैंक कर्ज लिया है उसकी किश्त भी देनी मुश्किल है जिससे व्यापारियों में भारी आक्रोश देखने को मिला। माहरा ने कहा कि स्थानीय हक हकूक धारियों से भी टेन्ट कॉलौनी के नाम पर 80 हजार रूपये प्रति टेन्ट वसूला गया है। यात्रा ना चलने के कारण स्थानीय युवाओं को भारी नुकसान हुआ है।
यही नहीं 5,900 रूपये प्रति कच्ची दुकान की भी प्रशासन द्वारा पर्ची काटी गई। उसके बाद उन्हीं दुकानदारों का वन विभाग द्वारा 10 हजार का चालान भी काटा गया। जिससे स्पष्ट है कि सरकारी विभागों में कोई संवाद नहीं है। आपसी संवाद ना होने क कारण स्थानीय बेरोजगार नौजवानों का सरकारी तौर पर आर्थिक शोषण हो रहा है। उन्होंने कहा कि घोड़ा खच्चर संचालकों से प्रति घोड़ा एक चक्कर आने-जाने के 300 रूपये वसूले जाते हैं और उसके बावजूद जगह-जगह पर अवैध रूप से अगल से 1000-2000 के चालान भी काटे जा रहे हैैं जो सरासर अन्याय है।
उन्होंने कहा कि श्री केदारनाथ धाम में पुर्न निर्माण के नाम पर तीर्थ पुरोहितों और अन्य हक हकूक धारियों के साथ अन्याय किया जा रहा है जिसका लगातार विरोध हो रहा है लेकिन सरकार अपनी मनमानी से बाज नही आ रही है। अतिक्रम के नाम पर लगातार बुलडोजर चलाकर लोगों के प्रतिष्ठानों को तोड़ा जा रहा है जिससे उनकी रोजी रोटी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। लेकिन सरकार अपनी मनमानी पर अड़ी हुई है। करन माहरा ने कहा कि केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा का उद्देश्य केदारनाथ धाम की प्रतिष्ठा के साथ हो रहे खिलवाड को रोकना था। जिसमें से अभीतक केवल दिल्ली के बौराड़ी में बन रहे केदारनाथ निर्माण रोका गया है जो इस यात्रा की बडी जीत है। लेकिन केदारनाथ धाम से ले जाई गई शिला अभीतक केदारनाथ धाम वापिस नही आई है। दिल्ली के सेठोें ने क्यूआर कोड से जो चन्दा एकत्र किया वह भी अभी वापस नहीं किया गया है। शंकराचार्य का अपमान करने के बावजूद उनसे अभीतक माफी नही मांगी गई है और 228 किलो सोना पीतल मे कैसे बदला इसका जबाव भी देश की जनता को नहीं मिला है।