देहरादून। नारी शक्ति स्वरूप महिला जिला संगठन के बैनर तले आज स्वयं सहायता समूह में एक पत्रकार वार्ता कर टेक होम राशन स्कीम के अंतर्गत हो रहे घोटाले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार स्वयं सहायता समूहों के अधिकारों का हनन करते हुए अपने कुछ करीबियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से टेंडर प्रक्रिया कर उनका हक मार रही है। संगठन की ओर से अपनी बात रखते हुए रीता नेगी ने कहा कि पहले टेंडर 26 10 2020 को अपलोड किया तथा यह टेंडर 17 12 2020 को निरस्त किया गया। टेंडर की शर्तों को देखकर लगता है, किसी विशेष कंपनी को लाभ पहुंचाना चाहते थे क्योंकि टर्नओवर 100 करोड़ की तथा ईएमडी 4.7 करोड़ की मांगी है तो पूरे प्रदेश का एक साथ ऑर्डर मांगा है तो इसमें छोटे उधमियों का कोई रोल नहीं है। महिला समूह का तो बिल्कुल भी रोल नहीं था होना यह चाहिए था कि ब्लॉक लेवल पर टेंडर मांगना चाहिए था या डिस्ट्रिक्ट लेवल पर टेंडर मांगना चाहिए था तथा महिला समूह को सिलेक्शन कर या टेंडर करके काम बांटना चाहिए था।
पत्रांक 1020 दिनांक 28.6.2024 जो पत्र निदेशक ने सचिव को लिखा था कि भारत सरकार द्वारा सभी वर्गों को क्रमशः 8 रुपए, 12 रुपए, 12 रुपए तथा 9.50 रुपए देय किया जा सकता है परंतु उत्तराखंड सरकार ने सभी वर्गों को प्रति लाभार्थी प्रतिदिन लगभग 1.5 से 22 का ही देय है जिससे प्रतिमाह काफी बचत हो रही है देखें तालिका तीन इस कारण लोकल समूह से बचत की गई राशि से इस संबंध में आपूर्ति का पत्र भेजा इस पर सचिव महोदय ने कोई कार्रवाई नहीं की तथा फंड्स को लेप्स होने दिया तथा लाभार्थियों की भी कोई चिंता नहीं कि यह उत्तराखंड के निवासियों तथा लाभार्थियों का मौलिक हनन है जिससे हजारों महिला समूह का रोजगार का हनन हुआ है यहां यह भी बताना है कि छतीसगढ़ में भाजपा सरकार ने महिला समूहों को ही कार्य करने की इच्छा जताई है।
इसके बाद निदेशक में पत्रांक 1349 दिनांक 27.7.2024 को शासन की मौखिक आदेश के बाद एक पत्र सचिव को भेजा कि केंद्रीय एजेंसियों जैसे नेफेड, केंद्रीय भंडारण, एन०सी०सी०एफ० में से किसी एक को या इन तीनों को काम दे दिया जाए, टी०एच०आर० का काम दे दिया जाए या देने की संस्तुति की है। यह पता लगा है कि शासन ने इन तीनों में से एक एजेंसी को चुन भी लिया है तथा चुनने के बाद कागज बनाने की प्रक्रिया चल रही है यह हम महिला समूह के साथ विश्वासधात हैं तथा हजारों महिला समूह तथा महिला समूह से जुड़े लाखों ग्रामवासियों से विश्वास घात है तथा रोजगार से वंचित करने का षड्यंत्र है। यह सभी केंद्रीय एजेंसिया खुद काम नहीं करती है बाहर से टेंडर करके सप्लाई करती है। अतः हमारी प्रार्थना है कि मुख्यमंत्री इसे अपने संज्ञान में ले तथा दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करें तथा हजारों महिला समूह को रोजगार दें तथा लाखों लाभार्थियों को गुणवतापूर्ण पोषाआहार उपलब्ध कराया जा सके। पत्रकार वार्ता में फरजाना, फरीदा, कविता, कोमल आदि महिलाएं जो अलग-अलग स्वयं सहायता समूह चल रही है मौजूद रही।