देहरादून। नये उपभोक्ता संरक्षण कानून के अनुसार अब पचास लाख तक की मूल्य वस्तु व सेवाओं के उपभोक्ता केस जिला उपभोक्ता आयोग ही सुन सकता है। इसमें मुआवजे या दावे की धनराशि कितनी भी हो सकती है। पांच लाख तक की वस्तु व सेवाओं के उपभोक्ता केसों पर कोई परिवाद शुल्क भी नहीं देना होगा। यह जानकारी कानूनी जागरूकता पुस्तकों के लेखक 33 वर्षों के अनुभवी अधिवक्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने अपनी 46 वीं पुस्तक “नया सरल उपभोक्ता कानून” आम जनता के लिये जारी करते हुये दी।
नदीम द्वारा लिखित तथा युगनिर्माता पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित इस कानूनी जागरूकता पुस्तक “नया सरल उपभोक्ता कानून“ में 11 अध्याय तथा एक विशेष परिशिष्ट है। इस पुस्तक में जहां सरल हिन्दी में प्रमुख उपभोक्ता कानूनों का परिचय दिया गया है। वहीं 20 जुलाई 2020 से लागू नये उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के प्रावधानों की जानकारी दी गयी है। इसके अतिरिक्त उपभोक्ता शिकायत सम्बन्धी प्रावधानों का अंग्रेजी पाठ में विशेष परिशिष्ट के रूप में शामिल किया गया है।
पुस्तक में उपभोक्ता कानूनों का परिचय, उपभोक्ता कानून सम्बन्धी प्राथमिक बाते, जिला आयोग की अधिकारिता व मामले की प्रक्रिया, राज्य आयोग व राष्ट्रीय आयोग की अधिकारिता व प्रक्रिया, अपील व रिवीजन, उपभोक्ता आयोगों का गठन, उपभोक्ता संरक्षण परिषदों, अपराध और सजाओं के साथ-साथ नये उपभोक्ता अधिनियम में नये जोड़े गये मध्यकता सम्बन्धी प्रावधान, उत्पाद दायित्व प्रावधान, उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की सरल जानकारी वाले अध्याय शामिल किये गये हैं।
नदीम ने बताया कि पुस्तक को देश भर में कोई भी व्यक्ति कहीं से भी पब्लिकेशन की वेबसाइट तथा ऑमेजन के माध्यम से ऑनलाइन आर्डर करके घर बैठे मंगा सकता है। नदीम की इससे पूर्व सूचना अधिकार, मानवाधिकार, उपभोक्ता अधिकार, भ्रष्टाचार, चुनाव, आयकर, वैट, जी.एस.टी. बी.एन.एस., फौजदारी कानून आदि विषयों पर 45 पुस्तकंे प्रकाशित हो चुकी हैं।