देहरादून। उत्तराखंड सरकार खुले बाजार से 1000 करोड़ का कर्ज लेने जा रही है। लेकिन चिंता कर्ज को लेकर नहीं, बल्कि राज्य के आनुपातिक रूप से आय के स्रोत ना बढ़ने को लेकर है। खास बात यह है कि इसी वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार पहले ही हजारों करोड़ का कर्ज ले चुकी है। अब ये कर्ज का मर्ज राज्य के आर्थिक हालात के लिए बड़ी मुसीबत बनता दिखने लगा है। सामाजिक रूप से कर्ज को बेहद खराब माना जाता है। लेकिन राज्य या देश अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए अक्सर कर्ज का ही सहारा लेते हैं। लेकिन ये कर्जा तभी तक ठीक है, जब तक उसे लौटाने की कुव्वत बरकरार हो। यदि बात आर्थिक क्षमता से बाहर निकली, तो अर्थव्यवस्था के ठप होने में देरी नहीं लगती।
उत्तराखंड के लिए भी कुछ इसी तरह की अलार्मिंग स्थिति से बचने की नसीहत जानकारों की तरफ से मिलने लगी है। साल 2025 के पहले ही महीने में राज्य के आर्थिक हालात को लेकर यह चर्चा सरकार के उस कदम के बाद शुरू हुई है, जिसके तहत राज्य सरकार ने खुले बाजार से 1000 करोड़ का कर्ज लेने का फैसला लिया है।
फिलहाल राज्य सरकार 1000 करोड़ का खुले बाजार से कर्ज लेने के लिए प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है। लेकिन सरकार का इस वित्तीय वर्ष का यह कोई पहला कर्ज नहीं होगा। इसी वित्तीय वर्ष 2024-25 में धामी सरकार अबतक 3400 करोड़ का कर्ज ले चुकी है। जबकि अब 1000 करोड़ का कर्ज लेने के बाद इस वित्तीय वर्ष में कुल कर्ज की रकम 4400 करोड़ तक पहुंच जाएगी। उत्तराखंड सरकार नियमों के तहत रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के जरिए खुले बाजार से कर्ज उठा रही है। इसके लिए वित्त विभाग ने 2 जनवरी 2025 को नोटिस के माध्यम से तमाम संस्थाओं से बिड के जरिए कर्ज देने के लिए आवेदन आमंत्रित किये।
खुले बाजार से कर्ज लेने के लिए जारी किए गए नोटिस में यह भी स्पष्ट किया गया है कि 31 मार्च 2021 तक उत्तराखंड पर 57,114.06449 करोड़ का कर्ज बकाया था। राज्य सरकार खुले बाजार से 1000 करोड़ का यह कर्ज ऊर्जा, कृषि, सिंचाई और उद्योग विभाग के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए ले रही है। हालांकि पहले ही राज्य पर हजारों करोड़ का कर्ज बकाया है, और इस कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए भी सरकार को सैकड़ों करोड़ रुपए की जरूरत पड़ती है।