देहरादून। पंचायत चुनाव की मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने या संसोधित करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को, केंद्रीय चुनाव आयोग के प्रोटोकोल के हिसाब से फॉर्म संख्या-6, फॉर्म संख्या-7 और फॉर्म संख्या-8 के इस्तेमाल तथा फॉर्म 9, 10, 11, 11ए और 11बी के सम्बन्ध में प्रदेश कांग्रेस मेरा वोट मेरा अधिकार समिति के सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल ने राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राहुल कुमार गोयल से मुलाकात कर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा की ओर से शिकायत करते हुए सुझाव पत्र सौंपे। 23 फरवरी 2025 को सम्पन्न हुए स्थानीय निकाय चुनाव में, मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी/धांधली होने की शिकायते सारे राज्य से आई हैं, हमारी पार्टी ने भी, अपने स्तर पर जांच की और उसके अनुसार, अपनी आपति दर्ज करवाई है. इस जांच में पता चला कि नगर निगम चुनाव के लिए, राज्य चुनाव आयोग, केंद्रीय चुनाव आयोग से भिन्न, नाम जुडवाने हेतु प्रपत्र 1(क), नाम में संशोधन करने के लिए प्रपत्र-1 (ख) और सूची में से नाम हटवाने के लिए प्रपत्र 1(ग) का इस्तेमाल कर रहा है.
इसके अतिरिक्त, विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण के दौरान, चुनाव आयोग मतदाता सूची से संबंधित दावों और आपत्तियों के लिए फॉर्म 9, 10, 11, 11ए और 11बी को प्रदर्शित करने का निर्देश देता है। इन फॉर्म्स के माध्यम से नाम जोड़ने, संशोधन करने, आपत्ति दर्ज कराने और नाम विलोपित करने की जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध की जाती है। मानक प्रक्रिया के अनुसार, इन्हें पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए मतदान केंद्रों, चुनावी कार्यालयों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर प्रदर्शित किया जाना चाहिए। स्पष्ट करें कि राज्य चुनाव आयोग स्थानीय निकाय चुनावों में केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित एसओपी का, प्रक्रियाओं का पालन क्यों नहीं कर रहा है।
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा इस्तेमाल होने वाले इन प्रपत्रों में, संभवत मतदाता को नाम जोड़ने, काटने या संसोधित करने के लिए दिए गए आवेदन से सम्बंधित सबूत के तौर पर कोई रसीद नहीं दी जाती है. इस कारण से मतदाता बाद में अपना पक्ष भी नहीं रख पा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जो प्रोटोकोल विकसित किया गया है और जो फॉर्म इस्तेमाल किये जाते हैं, कृपया उन्हीं फॉर्म और प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हुए, पंचायतों के लिए मतदाता सूची बनाई जाये। इस प्रक्रिया में फॉर्म संख्या-6 का इस्तेमाल नाम जोड़ने के लिए, फॉर्म संख्या-7 का इस्तेमाल नाम में संसोधन करने के लिए और फॉर्म संख्या-8 का इस्तेमाल नाम कटवाने के लिए किया जाना चाहिए. इसके अलावा, मतदाता को नाम जोड़ने, काटने या संसोधित करने के लिए दिए गए आवेदन से सम्बंधित सबूत के तौर पर रसीद दी जानी चाहिए, ताकि मतदाता बाद में अपना पक्ष रख सके. साथ ही फॉर्म 9, 10, 11, 11 ए, 11बी के प्रावधानों का अक्षरशः पालन किया जाना चाहिए।
मेरा वोट मेरा अधिकार समिति ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी ने शिकायत की थी कि 23 जनवरी 2025 को सम्पन्न हुए नगर निकाय चुनाव में प्रदेश भर में, बड़ी तादात में उन मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से काट दिए गये थे, जिन्होंने 8 माह मूर्व सम्पन्न हुए लोकसभा एवं विगत विधान सभा चुनाव में मतदान किया था। हमने अपने पत्र के माध्यम से निवेदन किया था कि उपरोक्त तथ्यों की न्यायायिक जांच कराते हुए सम्बंधित अधिकारीयों एवं दोषी कर्मचारियों (बी.एल.ओ.) के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाये। उन्होंने कहा कि तथा हमारी शिकायत के आधार पर निर्वाचन आयोग द्वारा अपने पत्र – रावनिवआव-3/ 4312/ 2024 दिनांक 27 फरवरी 2025 के माध्यम से समस्त जिलाधिकारियों और जिला निर्वाचन अधिकारी (ना.नि) को निर्देशित किया था कि वे सम्बंधित नगर निकाय क्षेत्र की निर्वाचक नामावली से नाम हटाये जाने के सम्बन्ध में विस्तृत जांच कराकर दोषी अधिकारीयों / कर्मचारियों के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही से यथाशीघ्र आयोग को अवगत कराएँ। परन्तु आज एक महीने से ज्यादा समय हो गया है और अभी तक हमें आपके माध्यम से या किसी अन्य माध्यम से कोई सूचना नहीं मिली है कि किसी भी कर्मचारी या अधिकारी पर कोई कार्यवाही हुई है या इस प्रकार की कोई जांच हो रही है। हालाँकि इस बीच, निर्वाचन आयोग ने, पंचायत चुनाव हेतु मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने या संसोधन की प्रक्रिया भी पूरी कर ली है। यह समझ से परे है कि जब फरवरी महीने में हुए चुनाव की निष्पक्षता पर संदेह है और उसकी जाँच का निर्देश आपने ने दिया है, जाँच के परिणाम से पूर्व ही नए चुनाव की प्रक्रिया शुरू और समाप्त करना निष्पक्षता पर आघात करता है।
कांग्रेस पार्टी ने मांग की है कि पंचायत चुनावों के लिए होने वाली निर्वाचन सूची में संशोधन नाम जोड़ना, हटाना को तब तक के लिए स्थगित किया जाये जब तक नगर निकाय चुनाव की निर्वाचन सूची के निर्माण की जांच पूरी नहीं हो जाती है। जाँच के पश्चात नगर निकाय चुनाव के दौरान मतदाता सूची में हुई गड़बड़ी के लिए दोषी कर्मचारियों को नियमानुसार दण्डित किया जाना चाहिए ताकि कोई भी दूसरा अधिकारी या कर्मचारी पंचायत चुनाव में इस प्रकार की धांधली या लापरवाही न दोहराई जाय। प्रतिनिधिमंडल में डॉ0 प्रेम बहुखंडी, अभिनव थापर एवं एडवोकेट पंकज क्षेत्री शामिल थे।