शुल्क बढ़ने से व्यापारियों की माथे पर चिंता की लकीरें

रुद्रप्रयाग। आर्थिक मंदी झेल रहे पहाड़ के व्यापारियों पर अब नगर निकायों के टैक्सों की मार परेशानी का सबब बनने लगी है। पहाड़ में सरकार ने कहने को तो नगर निकाय बना दिए, लेकिन इनमें न जनसंख्या का मानक पूरा है और न क्षेत्रफल का। बावजूद टैक्स और लाइसेंस शुल्क के नाम पर शहरों की तरह मानक लाद दिए गए हैं।

पहाड़ में व्यापार के सीमित अवसर है। पलायन की मार झेल रहे अधिकांश बाजारों की रोजमर्रा की दुकानदारी चिंताजनक है। ऐसे में टैक्स और लाइसेंस शुल्क उन पर नया आर्थिक बोझ बनता जा रहा है। इस परेशानी को देखते हुए अगस्त्यमुनि नगर व्यापार संघ ने नगर पंचायत को पत्र लिखकर व्यापारियों की परेशानी को सामने रखा है। नगर व्यापार संघ अध्यक्ष त्रिभुवन नेगी नेगी ने कहा कि नए वित्तीय वर्ष से व्यापारियों पर यूजर चार्ज लगाया जा रहा है, जबकि इससे पूर्व लाइसेंस शुल्क भी बड़ी राशि के साथ प्रतिष्ठानों से लिया जा रहा है। वो कहते हैं बाजार की आर्थिक मंदी, ऑनलाइन शापिंग के साथ-साथ किराए-भाड़े में बढ़ोत्तरी ने पहले से ही व्यापारियों की कमर तोड़ कर रखी है, जैसे-तैसे लोग गुजर-बसर कर रहे हैं, ऐसे में नगर निकायों के भारी भरकम लाइसेंस शुल्क और अब यूजर चार्ज ने उनकी चिंताएं बढ़ा दी हैं। उन्होंने नगर पंचायत अध्यक्ष को पत्र सौंपकर व्यापारियों की समस्या सामने रखी। पत्र में उन्होंने यूजर चार्ज शुल्क को न्यूनतम रखने की मांग की है। नगर पंचायत के अर्न्तगत रहने वाले मजूदरों और फड़ फेरी वालों का भी लाइसेंस अनिवार्य रूप से बनाया जाए।

बता दें यूजर चार्ज और लाइसेंस शुल्क का निर्धारण नगर पंचायत की बोर्ड मीटिंग में किया जाता है, लेकिन अधिकांश के मानक शहरों की तरह ही होते हैं। अगस्त्यमुनि में भी कुछ इसी तरह से शुल्क निर्धारण किया गया है, जबकि जनपद मुख्यालय स्थित नगर पालिका में लिया जाने वाला लाइसेंस शुल्क नगर पंचायत अगस्त्यमुनि से आधा है। व्यापार संघ प्रदेश महामंत्री मोहन सिंह रौतेला ने कहा कि नगर पंचायत को अपनी आय के लिए अन्य साधन ढूंढने चाहिए।

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