नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पहली बार भारत-चीन सीमा पर बॉर्डर इंटेलिजेंस पोस्ट स्थापित करने की मंजूरी दे दी है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास बीजिंग की ओर से सैन्य और हथियारों की तैनाती से जुड़ी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए यह कदम उठाया है। मामले के जानकारों ने बताया कि बीआईपी का मकसद अतिक्रमण और घुसपैठ के जरिए यथास्थिति को बदलने के प्रयास को रोकना भी है। ये लोग सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के साथ मिलकर इस काम को अंजाम देंगे। इन्हें राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (एनटीआरओ), इंटेलिजेंस ब्यूरो, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) जैसी एंजेसिंयों से भी सहयोग मिलेगा। चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की किसी भी असामान्य गतिविधि के वक्त इनकी भूमिका बेहद अहम होगी।
एक टॉप ऑफिसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘बीआईपी को आईटीबीपी की सीमा चौकियों के पास बनाया जाएगा। इनमें से हर एक में खास ड्यूटी के लिए 4-5 खुफिया अधिकारी तैनात होंगे। वे किसी भी तरह की असामान्य गतिविधि होने पर सरकार को रिपोर्ट करेंगे।’ मालूम हो कि इस समय लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक भारत-चीन सीमा पर आईटीबीपी की 180 से अधिक बीओपी हैं। सरकार ने इस साल की शुरुआत में एलएसी पर 47 अतिरिक्त सीमा चौकियों और सीमा सुरक्षा बल के 12 स्टेजिंग शिविरों को भी मंजूरी दी थी, जिन्हें हिमवीर भी कहा जाता है। इसके लिए 9,400 कर्मियों (7 बटालियन) को पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है।
खास तौर से ट्रेंड खुफिया अधिकारी होंगे तैनात
अधिकारी ने इस बात की जानकारी नहीं दी कि कितनी बीआईपी स्थापित की जाएंगी। उन्होंने यह भी नहीं बताया कि इसके लिए केंद्र की ओर से कितना बजट मंजूर किया गया है। हालांकि, उन्होंने यह जरूर बताया कि धीरे-धीरे सभी संवेदनशील बीओपी में खास तौर से ट्रेंड खुफिया अधिकारियों को तैनात किया जाएगा। इनके पास लेटेस्ट सर्विलांस टूल्स मौजूद होंगे। यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है जब चीन की ओर से एलएसी पर अपनी ताकत दिखाने, नियमित घुसपैठ के प्रयास से भारत को उकसाने का सिलसिला जारी है। साथ ही सीमा के दूसरी ओर हवाई क्षेत्रों और मिसाइल साइटों जैसे सैन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण की खबरें भी सामने आई हैं।
एलएसी पर भारत का बुनियादी ढांचा पहले से मजबूत
भारत और चीन के सैनिकों के बीच जून 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई थी। इसके बाद से दोनों पक्ष एलएसी के कई बिंदुओं पर आमने-सामने हुए हैं। बीते साल 9 दिसंबर को चीनी सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश के यांगस्टे में भी घुसपैठ की थी, जिसके बाद फिर से झड़प हुई। इस बार भी दोनों देशों के सैनिक घायल हुए। दरअसल, भारत-चीन सीमा पूरी तरह से साफ नहीं है। ऐसे में एलएसी को लेकर दोनों देशों की अलग-अलग धारणाएं हैं। पीएलए के सैनिक अक्सर विवादित क्षेत्र में घुस आते हैं। मालूम हो कि गलवान और यांगस्टे झड़पों के बाद भारत ने एलएसी पर अपना बुनियादी ढांचा मजबूत किया है। साथ ही सरकार ने सीमावर्ती गांवों के विकास के लिए कई प्रोजेक्ट शुरू किए हैं।