भाजपा के पूर्व विधायक चीमा के बयान पर भड़कीं कांग्रेस मुख्य प्रवक्ता

देहरादून। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक हरभजन सिंह चीमा के महिला अपराध को लेकर दिए गए बयान पर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। दसौनी ने कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर हरभजन सिंह चीमा एवं भारतीय जनता पार्टी पर कड़ा हमला बोला। दसौनी ने कहा कि हरभजन सिंह चीमा ने महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के लिए उनके पहनावे में आ रहे बदलाव को जिम्मेदार ठहराकर भाजपा की संस्कृति, चाल-चरित्र-चेहरे को उजागर कर दिया है। दसौनी ने भाजपा के पूर्व विधायक को घेरते हुए कहा कि आज प्रदेश में हो रहे महिला अपराधों में अधिकतर दुष्कर्म नाबालिगों के साथ हो रहे हैं, ऐसे में चीमा और भाजपा बताएं कि नाबालिग बच्चियों को आखिर क्या पहनाया जाए जो उन मासूमों के साथ इस तरह का कृत्य ना हो? दसौनी ने कहा कि चीमा बताएं कि क्या गारंटी है कि ऊपर से नीचे तक ढ़की हुई महिला के साथ कोई दुष्कर्म नहीं होगा ? दसौनी ने कहा कि बजाय इसके कि हरभजन सिंह चीमा प्रदेश में लगातार बड़ी संख्या में हो रहे जघन्य अपराधों के लिए पुलिस प्रशासन और धामी सरकार को जिम्मेदार ठहराते, या प्रदेश और देश के युवाओं को नैतिकता का पाठ पढ़ाते, उन्हें यह समझाते कि महिलाएं केवल उपभोग की वस्तु न होकर मां, बहन और बेटियां होती हैं। गरिमा ने कहा कि अपनी सरकार को उसकी नाकामी पर घेरने के बजाय सारा ठीकरा महिलाओं के पहनावे पर फोड़ दिया गया है, जो कि बहुत ही निंदनीय है। गरिमा ने कहा कि हरभजन सिंह चीमा को सार्वजनिक रूप से देश की तमाम मातृशक्ति से इस तरह का घिनौना और निकृष्ट बयान देने के लिए माफी मांगनी चाहिए और भारतीय जनता पार्टी को भी हरभजन सिंह चीमा के बयान पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। आज प्रकाशित एक खबर का हवाला देेकर दसौनी ने कहा कि केदारनाथ दर्शन को आई हुई मध्य प्रदेश की महिला के साथ पुलिस विभाग के अधिकारियों के द्वारा ही शारीरिक उत्पीड़न किया गया। इससे दुर्भाग्यपूर्ण बात क्या हो सकती है कि आज प्रदेश का रक्षक ही भक्षक बन चुका है।
दसौनी ने कहा कि महिलाओं के साथ दुष्कर्म करने वाले लोग विकृत मानसिकता के वहशी दरिंदे होते हैं, और उनकी सभ्य समाज में कोई जगह नहीं होनी चाहिए ऐसे में पुलिस प्रशासन को चाहिए कि वह पूरे प्रदेश के अपराधियों/बलात्कारियों के लिए एक नजीर पेश करें ताकि ऐसे बलात्कारियों में कानून व्यवस्था के प्रति डर और भय पुनस्र्थापित किया जा सके।

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