स्पिक मैके स्टेट कन्वेंशन कला और संस्कृति के जीवंत उत्सव के साथ हुआ संपन्न

देहरादून। भारतीय संस्कृति और कला का जीवंत उत्सव तीन दिवसीय स्पिक मैके स्टेट कन्वेंशन आज यूनिसन वर्ल्ड स्कूल में संपन्न हुआ। इस कन्वेंशन में कलात्मक प्रदर्शनों और समृद्ध कार्यशालाओं की मंत्रमुग्ध कर देने वाली शृंखला देखी गई। कन्वेंशन के आखिरी दिन की शुरुआत माइंडफुल योग कार्यशाला से हुई। एसएनए पुरस्कार विजेता विदुषी पार्वती बाउल का प्रदर्शन मुख्य आकर्षण रहा, जिसके दौरान उन्होंने कृष्ण लीला के विभिन्न छंदों को सुरीले ढंग से प्रस्तुत किया। इसके बाद पद्म विदुषी मालिनी अवस्थी ने मनमोहक प्रस्तुति दी, जिसमें उन्होंने माता यशोदा द्वारा कृष्ण को जगाने के साथ-साथ ठुमरी और झूला सहित अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

यह कार्यक्रम विभिन्न गुरुओं के नेतृत्व में गहन कार्यशालाओं के साथ जारी रहा। तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान तबला, ओडिसी नृत्य, टाई एंड डाई, पटुआ पेंटिंग, कथक, कर्नाटक गायन, कांगड़ा पेंटिंग, हिंदुस्तानी गायन, कुचिपुड़ी, भरतनाट्यम, सिक्की ग्रास क्राफ्ट, गोंद पेंटिंग और थिएटर प्ले पर कार्यशालाएँ आयोजित की गईं। इन सत्रों का समापन छात्रों द्वारा एक प्रदर्शन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने सम्मेलन के दौरान सीखे गये कौशल का प्रदर्शन किया।

कार्यक्रम के बारे में बताते हुए, स्पिक मैके उत्तराखंड की चेयरपर्सन विद्या वासन ने कहा, ष्यह तीन दिन कला और संस्कृति के अविश्वसनीय दिन रहे हैं। पहले दिन नया थिएटर द्वारा राज रक्त नामक नाट्य प्रस्तुति का आयोजन किया गया। इसके बाद पद्म भूषण विदुषी सुधा रघुनाथन द्वारा कर्नाटक गायन पर शास्त्रीय प्रस्तुति आयोजित हुई, जिसमें उन्होंने राग बिहाग प्रस्तुत किया और तिल्लाना सहित कई अन्य रचनाएँ गाईं। इसके बाद पद्म भूषण पंडित विश्व मोहन भट्ट ने मोहन वीणा पर राग श्याम कल्याण बजाया, और उनकी ग्रैमी पुरस्कार विजेता कृति श्मीटिंग बाय द रिवरश् को दर्शकों ने खूब सराहा।

आगे बताते हुए, स्पिक मैके के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आर.एम. तिवारी ने कहा, ष्कन्वेंशन का दूसरा दिन भी काफी रोमांचक रहा। इसकी शुरुआत प्रतिभागियों के लिए योग निद्रा से हुई, जिसके बाद डॉ. अर्शिया सेठी ने एक वार्ता सत्र आयोजित किया। अपने व्याख्यान में डॉ. सेठी ने कला के प्रति सम्मान और समर्पण की भावना पैदा करके व्यक्तित्व विकास की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि कला मनोरंजन से कहीं बढ़कर हैय यह साधना का एक रूप है, एक अनुशासित और समर्पित अभ्यास है। इस दिन कई आकर्षक प्रस्तुतियाँ हुईं, जिनमें कथक उस्ताद पंडित दीपक महाराज द्वारा जटिल पदचिह्न और सटीक लयबद्ध हरकतें, उत्तराखंड की भोटिया सांस्कृतिक कला मंच समिति द्वारा पारंपरिक मुखोटा नृत्य, पंडित ओमकार दादरकर द्वारा हिंदुस्तानी गायन और पंडित कुशल दास द्वारा मंत्रमुग्ध कर देने वाला सितार वादन शामिल रहा। विद्या ने इस सम्मेलन को सफल बनाने में अपने अमूल्य सहयोग के लिए सभी कलाकारों, भाग लेने वाले स्कूलों, प्रधानाचार्यों, शिक्षकों और छात्रों का धन्यवाद किया।

यूनिसन वर्ल्ड स्कूल की प्रिंसिपल डॉ. मोना खन्ना ने सम्मेलन की जबरदस्त सफलता के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस सांस्कृतिक कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए अपना समय समर्पित करने वाले सभी कलाकारों को दिल से धन्यवाद दिया। उन्होंने डॉ. आर.एम. तिवारी, विद्या वासन, राधा चटर्जी, रूपी महेंद्रू, अंजलि भरतरी और ललित मोहन पुरोहित सहित स्पिक मैके की टीम को उनके अपार सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर, प्रसिद्ध हिंदुस्तानी गायक ओमकार दादरकर ने कहा, ऐसे ग्रहणशील छात्रों को हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन सिखाना एक अद्भुत अनुभव रहा है। उन्होंने राग भीमपलासी में तीन रचनाएँ जल्दी ही सीख लीं और भारतीय शास्त्रीय संगीत में वास्तविक रुचि दिखाई। मेरा मानना है कि इनमें से कई छात्रों में सही मार्गदर्शन के साथ गायक बनने की क्षमता है। तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान, छात्रों ने प्रशंसित गुरुओं के मार्गदर्शन में अत्यधिक ज्ञान और कौशल प्राप्त करते हुए व्यावहारिक कार्यशालाओं में हिस्सा लिया। इस अनूठे अनुभव ने उन्हें कला रूपों से गहराई से जुड़ने और सीधे गुरुओं से सीखने का मौका दिया, जो की अपने आप में समृद्ध और परिवर्तनकारी था। कार्यक्रम का समापन सभी गुरुओं को हार्दिक बधाई देने के साथ हुआ, जिसमें कन्वेंशन की सफलता में उनके अमूल्य योगदान को मान्यता दी गई। उत्तराखंड के विभिन्न स्कूलों और विश्वविद्यालयों से 2,000 से अधिक छात्रों ने कन्वेंशन में भाग लिया।

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