जयंत चौधरी करेंगे 38वीं सेंट्रल एप्रेन्टिसशिप काउंसिल मीटिंग की अध्यक्षता

कौशल प्रशिक्षण में सुधार लाने पर होगा विचार-विमर्श

देहरादून। कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय 26 मई 2025 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 38वीं सेंट्रल एप्रेन्टिसशिप काउंसिल मीटिंग का आयोजन करने जा रहा है। काउंसिल का गठन अक्टूबर 2024 में जयंत चौधरी, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), एमएसडीई की अध्यक्षता में किया गया था, जो सरकार को देश भर में एप्रेन्टिसशिप से संबंधित मुख्य पॉलिसियों पर सरकार को सलाह देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

पिछली सीएसी मीटिंग का आयोजन जून 2021 में हुआ था। तब से भारत के एप्रेन्टिसशिप परिवेश में बड़ा बदलाव आया है- 51000 से अधिक संस्थानों की सक्रिय भागीदारी के साथ 36 राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में 43.37 लाख एप्रेन्टिसेज़ को शामिल करते हुए, इसकी पहुंच विभिन्न ज़िलों एवं सामाजिक समूहों तक बढ़ाई गई है तथा पीएम-एनएपीएस एवं एनएटीएस योजनाओं के द्वारा भावी सेक्टरों के साथ बेहतर तालमेल बनाया गया है।

उन्सिल में केन्द्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों, उद्योग जगत (सार्वजनिक एवं निजी), अकादमिक, श्रम संगठनों के प्रतिनिधी और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हैं। इसके महत्वपूर्ण सदस्यों में भेल, इंडियन ऑयल, टाटा ग्रुप, मारूति सुजुकी, रिलायन्स इंडस्ट्रीज़, एनएसडीसी, यूजीसी, एआईसीटीई के चेयरपर्सन तथा विभिन्न मंत्रालयों जैसे शिक्षा, श्रम, एमएसएमई, रेलवे और टेक्सटाईल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। दस मुख्य राज्यों से एप्रेन्टिसशिप सलाहकार और डोमेन विशेषज्ञ (जिनके पास शिक्षा, श्रम एवं उद्योग में अनुभव है) भी काउन्सिल को अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं।

मीटिंग से पहले जयंत चौधरी, सीएसी के चेयरमैन और एमएसडीई के राज्य मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) ने कहा, एप्रेन्टिसशिप का भविष्य शिक्षा, टेक्नोलॉजी और अवसरों से जुड़ा है। हम भारत के युवाओं को गतिशील एवं समावेशी अर्थव्यवस्था के लिए तैयार कर रहे हैं, ऐसे में यह काउन्सिल मीटिंग हमारे एप्रेन्टिसशिप फ्रेमवर्क में प्रत्यास्थता, विश्वस्तरीय संबंधों को बढ़ावा देने और संस्थागत तालमेल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह ‘कुशल भारत, विकसित भारत’ की दिशा में हमारी यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मीटिंग की शुरूआत सुबह 10ः30 बजे विज्ञान भवन में होगी, मंत्री जी सभा को सम्बोधित करेंगे। इसके बाद प्रस्तावित सुधारों एवं नीतिगत बदलावों पर विचार-विमर्श होगा। उम्मीद है कि काउन्सिल के परिणाम आने वाले सालों में भारत की कौशल प्राथमिकताओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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