नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में भारतीय पुलिस सेवा के 2023 बैच के प्रोबेशनर्स से संवाद किया। इस दौरान प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारियों ने ट्रेनिंग से जुड़े अपने अनुभव केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री से साझा किए। इस अवसर पर केन्द्रीय गृह सचिव, निदेशक, आसूचना ब्यूरो और निदेशक, सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। अपने सम्बोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 2047 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपनों का विकसित भारत आतंकवाद मुक्त, नशा मुक्त, आंतरिक सुरक्षा से युक्त, मानवाधिकारों व नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला होगा। गृह मंत्री ने कहा कि प्रशिक्षु प्च्ै अधिकारियों को यह चिंता और चिंतन करना चाहिए कि वे किस समय पर आईपीएस अधिकारी बने हैं। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षु अधिकारियों को चिंता इसलिए करना चाहिए कि इस समय जो बैच आईपीएस अधिकारी बनकर बाहर आएगा, उस पर पिछले 75 बैचों से ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी होगी।
श्री शाह ने कहा कि प्रशिक्षु अधिकारियों को चिंतन इसलिए करना चाहिए कि उनके तथा उनके बाद आने वाले बैचों पर पूरा दारोमदार है कि हमारा देश एक स्केल बदल कर आने वाली पीढ़ी के लिए पुलिसिंग में प्रवेश करेगा या नहीं। अमित शाह ने कहा कि देश का गृह मंत्री होने के नाते वे निश्चित तौर पर यह कह सकते हैं कि अब किसी में हमारी सीमाओं और हमारी सेना का अपमान करने की हिम्मत नहीं है। गृह मंत्री ने कहा कि हमने अपनी सीमाओं की चाक चौबंद सुरक्षा करने के लिए बहुत कुछ कर लिया है और बाकी किया जा रहा है, उन्होंने कहा कि पहले कश्मीर, नार्थ ईस्ट और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र तीन नासूर थे, लेकिन अब हमें इन तीनों जगहों पर हिंसा में 70ः तक की कमी लाने में सफलता प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि आज इन तीनों जगहों पर भारतीय एजेंसियों का संपूर्ण वर्चस्व है। श्री शाह ने कहा कि अब अपनी मांग और परिवर्तन की आकांक्षा दोनों लोकतांत्रिक प्रक्रिया से करने का संस्कार नीचे तक पहुंचे हैं, जिसके कारण पहले दिखने वाले बड़े-बड़े आंदोलन अब समाप्त हो गए हैं। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि अब समय आ गया है कि हमारे नागरिकों के मूलभूत अधिकारों की सुरक्षा के लिए पुलिस तंत्र आगे आए। साथ ही देश की सीमाओं के अंदर हो रहे क्राइम को मिनिमाइज करने के लिए पुलिस तंत्र मुस्तैदी बरते और हम अपने नागरिकों को कम से कम समय में न्याय दे पाएं।
अमित शाह ने कहा कि आज सीसीटीएन के माध्यम से देश के 99ः थाने ऑनलाइन हो चुके हैं, ऑनलाइन डाटा जनरेट हो चुका है और तीन नए कानूनों से अनेक प्रावधानों में आमूलचूल बदलाव किया गया है। नए कानूनों में समय पर न्याय, दोष सिद्धि का प्रमाण बढ़ाने और टेक्नोलॉजी के अधिक से अधिक उपयोग पर जोर दिया गया है। वैज्ञानिक साक्ष्य अनिवार्य करने के कारण वैज्ञानिक पहले प्रॉसीक्यूशन को अनेक प्रकार के साक्षी खड़े करने पड़ते थे अब इसकी जरूरत नहीं है और अब साइंटिफिक एविडेंस के आधार पर दोष सिद्ध कर सकते हैं। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि नए कानूनों में न्यायिक प्रक्रिया को समयबद्ध किया गया है। 5 साल में पूरे देश के हर थाने में टेक्नोलॉजी के इंस्टॉलेशन, सॉफ्टवेयर के निर्माण और ट्रेनिंग सहित नए कानूनों को पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा। उसके बाद थ्प्त् रजिस्टर होने के बाद न्याय की प्रक्रिया 3 साल के अन्दर समाप्त हो जाएगी। श्री शाह ने कहा कि नए कानूनों में अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी को समाहित किया गया है और आने वाले 100 साल में टेक्नोलॉजी में होने वाले परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए ये क़ानून बनाए गए हैं । उन्होंने ई-समन का उदाहरण देते हुए कहा कि इसमें आने वाले 100 साल की टेक्नोलॉजी को समाहित करने वाले प्रावधान किए गए हैं। डायरेक्टर ऑफ प्रॉसीक्यूशन का प्रावधान किया गया है और फॉरेंसिक साइंस लैब को कंपलसरी किया गया है। कोई किसी की फेवर कर ही नहीं सकता क्योंकि साइंटिफिक एविडेंस आने के बाद अगर कोई ऑफिसर कंप्रोमाइज भी हो जाता है तो वह कोर्ट के सामने कुछ कर नहीं पाएगा। थ्ैस् की रिपोर्ट सीधा कोर्ट में जाएगी और पुलिस के पास से भी उसकी कॉपी आएगी।
अमित शाह ने कहा कि तीन नए क़ानून में हमने नागरिकों के अधिकारों को भी सुरक्षित किया है। पुलिस कस्टडी में कितने लोग हैं, इसकी ऑनलाइन घोषणा करनी पड़ेगी। 90 दिन के अंदर चार्जशीट करनी पड़ेगी और सर्च एंड सीजर की वीडियोग्राफी करानी पड़ेगी। नफीस पर फिंगरप्रिंट के डाटा के साथ ही टेररिज्म और नारकोटिक्स का डाटा अलग से जनरेट किया है। सारे सीसीटीएनएस के डाटा को भी एक अलग तरह से एनसीआरबी मैनेज कर रही है। ढेर सारे डेटा से राष्ट्रीय स्तर पर डाटा बैंक बनाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि अब गृह मंत्रालय की टीम आगे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर कर सॉफ्टवेयर का निर्माण कर इसके एनालिसिस से कई सारी चीजों को बाहर निकाल कर आपका काम सरल करने का भी काम कर रही है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि राष्ट्र की सुरक्षा का मतलब सिर्फ सीमा की सुरक्षा नहीं होता। राष्ट्र भूमि से और कानूनी तरीके से बनता है, परंतु राष्ट्र व्यक्तियों और नागरिकों से बनता है। नागरिक की सुरक्षा ही राष्ट्र की सुरक्षा का मूल बिंदु है। उन्होंने कहा कि जब वे सुरक्षा की बात करते हैं तो यह व्यक्ति की प्रॉपर्टी या उसके शरीर की सुरक्षा तक सीमित नहीं है बल्कि हमारे संविधान ने उसे जो उसको अधिकार दिए हैं उसकी सुरक्षा भी इसमें निहित हो जाती है। गरीब से गरीब व्यक्ति को इस देश के प्रधानमंत्री जितने अधिकार दिए गए हैं, इसकी सुरक्षा की ढेर सारी जिम्मेदारी पुलिस अधिकारियों पर है। श्री शाह ने कहा कि 75 साल के बाद अब वह समय आ गया है कि हम अपने मूल काम पर अब ध्यान केंद्रित करें। अब नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने और उन पर अत्याचारों की रोकथाम के लिए प्रयास करने का समय आ गया है। गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने प्रोबेशनर्स से कहा कि कोई ऐसा काम नहीं है जिसमें सुधार नहीं हो सकता और कोई ऐसा काम नहीं है जो महत्वपूर्ण नहीं है, अगर वे इसे गांठ बांध लेंगे तो जीवन में बहुत सारी निराशा से दूर हो जाएंगे।
श्री शाह ने कहा कि गरीबों, बच्चों और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने से बड़ा कोई काम नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि युवा पुलिस अधिकारी जिस जिले के एसपी हो, वह जिला वर्षों तक उनके अच्छे कामों को याद रखे, वही सबसे बड़ा मैडल होगा। गृह मंत्री ने कहा कि सभी युवा अधिकारियों को देश विरोधी गतिविधियों को समाप्त करने के लिए रुथलेस अप्रोच के साथ काम करना होगा। पुलिस का काम करते वक्त हमारे जहन में हमेशा राष्ट्र की सुरक्षा होनी चाहिए और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए हमारे चक्षु हमेशा खुले होने चाहिए।