श्री सन्तोषी माता मन्दिर, नई दिल्ली में 03 से 12 अक्टूबर तक मनाया जा रहा 105वां नवरात्रि उत्सव

दिल्ली। श्री सन्तोषी माता मन्दिर, हरि नगर, जेल रोड, नई दिल्ली में इस बार 105वां नवरात्रि उत्सव 03 अक्टूबर 2024 से 12 अक्टूबर 2024 तक मनाया जा रहा है। प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी नौ दिन अखंड ज्योति जलेगी। इसका समापन विशाल भगवती जागरण के साथ पूर्ण होगा। मन्दिर में नौ दिनों तक पुजा.अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। माता की पावन ज्योति में शाक्तियां साक्षात् विराजमान रहती है। नवरात्रों में मन्दिर दिन.रात दर्शनार्थ हेतू खुले रहते हैं। आप सभी भक्तों को अवगत कराया जाता है कि 14 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को प्रतिदिन प्रसाद वितरण किया जाता है। नवरात्रि उत्सव मेले का विशेष आकर्षण माँ संतोषी, माँ दुर्गा, माँ सरस्वती, श्री सद् गुरु जी एवं सद् गुरु माता जीए माँ की प्रतिमाओं की भव्य सजावट, विशाल अष्टधातु प्रतिमा की छवि सभी को प्रफुल्लित एवं उत्साहित करेगी। श्री संतोषी माता मन्दिर को रग बिरंगी लड़ियों, गुब्बारों, फूलों एवं लाइटों से सजाया जाता है, जो कि रात्रि के समय विशेषतः अत्यन्त सुन्दर दिखाई देता है। संतोषी माता मंदिर को नवरात्र के अवसर पर रंग बिरंगे बल्बों, फूलों आदि से सजाया गया है। रात्रि में संतोषी माता मंदिर की छटा भक्तों को मंत्र मुग्ध कर देती है। प्रात: भजनों द्वारा दिन का प्रारम्भ होता है तथा सामूहिक दुर्गा सप्तशती पाठ, हनुमान चालिसा, भजन संध्या, रंगमंच कलाकारों द्वारा स्टेज प्रोग्राम होता है। यहां के भक्तों की आस्था है कि नवरात्रों में तथा प्रत्येक मंगलवार, शुक्रवार और रविवार को अरदास तथा सेवा मात्र करने से ही सबकी मनोकामना बीमारी और कष्ट दूर होते हैं।

मंदिर के प्रांगण में 900 सेवादार नियुक्त है जो बीना आमदनी और आर्थिक लाभ के अपने अपने कार्य क्षेत्र की सेवा प्रदान करते हैं। श्री संतोषी माता मंदिर में प्राथमिक चिकित्सा उपचार केन्द्र और साथ ही आपातकालीन वाहन की सुविधा भी उपलब्ध है। मंदिर के किसी भी सेवादार के सुख दु:ख, शादी विवाह जैसे किसी भी अवसर पर मंदिर के संचालक एवं संरक्षक गुरु श्री अमित सक्सेना जी के द्वारा बिना किसी लाभ के सब का पूर्णतारू सहयोग करते है।

मन्दिर के संचालक एवं संरक्षक गुरु श्री अमित सक्सेना जी ने बताया कि मां सन्तोषी प्रत्येक मनोकामना को पूर्ण करने वाली कलियुग तारिणी स्वरूप है। वर्तमान समय के इस अराजकता के वातावरण में सन्तोश एवं शान्ति ही ऐसे दो महत्वपूर्ण गुण है जिससे संपूर्ण विश्व में भाईचारा एवं मानवता का उत्थान किया जा सकता है। भक्ति अपने आप में उसी अवस्था में सार्थक है, जब वह प्रत्येक मनुरूप को प्रेम में बांधकर एकता का संदेश दें।

यह धार्मिक मेला पिछले 52 वर्षों से निरंतर बड़े हर्ष व उल्लास से मनाया जा रहा है और देश व विदेश से हजारों भक्त इंटरनैट से भी जुड़ चुके है। वास्तव में संतोषी माता मंदिर अब विश्व विख्यात हो गया है। मन्दिर में देश.विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिये भण्डारा, विश्राम, व्यक्तिगत सामान की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए है।

Leave a Reply